अशोक गोयल , ब्यूरो रिपोर्टर
कानपुर नगर । जिसका विषय "मातृ भाषाओं पर खतरे एवं उनके समाधान "था! कार्यशाला का शुभारंभ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के निदेशक प्रोफेसर वृषभ प्रसाद जैन कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता कुलसचिव डॉ अनिल यादव डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर संजय स्वर्णकार और संयोजक सुधांशु राय के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया !
मुख्य अतिथि प्रोफेसर ऋषभ प्रसाद जैन ने मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा की हमारी मातृभाषा ही हमें विकसित करती है उन्होंने कहा अंग्रेजी भाषा का इतना प्रभाव है कि एक निम्न वर्ग वाला व्यक्ति भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहता है चाहे उस स्कूल का स्तर हिंदी माध्यम स्कूल से निम्न ही क्यों ना हो उन्होंने मातृभाषा के प्रयोग करने के लिए कहा आज अगर हमें मातृभाषा को प्रचलित करवाना है तो इसके लिए जन जागरण की जरूरत है और भारतीय भाषाओं के विश्व स्तरीय विद्यालयों की स्थापना की भी आवश्यकता है !भारत जगतगुरु तभी होगा जब मातृभाषा का विकास होगा उन्होंने कोरिया के लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका में कोरिया के लोगों को ज्यादा आय होती है जबकि भारत के लोगों की आय उतनी नहीं हो पाती है जिसका मुख्य कारण यह है कि कोरिया अपनी मातृभाषा का प्रयोग करता है जबकि भारत के लोग अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं!
कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए ! भाषा के प्रति रुचि भी उत्पन्न करें जिससे हम अच्छे तरह से अपने भावों को अपनी मातृभाषा के माध्यम से प्रदर्शित कर सकें उन्होंने कहा कि पहले लोग हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ते थे और बड़े बड़े राजनीतिज्ञ नौकरशाह और अच्छे पदों पर आसीन भी हुए हैं हमारी मातृभाषा हमारे विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देती है उन्होंने मातृभाषा पर एक कविता के माध्यम से वहां पर उपस्थित लोगों को झकझोर दिया जिसका शीर्षक था हिंदी है तो हिंदुस्तान है यही देश का सम्मान है !
डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर संजय स्वर्णकार ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा की हिंदी भाषा ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है आज हमें हिंदी भाषी होने पर गर्व होना चाहिए उन्होंने कहा की प्रादेशिक भाषाओं का भी हास हो रहा है आज हमारी मातृभाषा पर जो खतरे मंडरा रहे हैं उनके समाधान की नितांत आवश्यकता है और हम ही वह समाधान कर सकते हैं कार्यशाला के संयोजक डॉ सुधांशु राय ने कहा हमारी मातृभाषा हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करती है हमें पूरे गर्व से अपनी मातृभाषा का प्रयोग करते हुए पूरे विश्व में हिंदी भाषा का डंका बजवाना है अन्य भाषाओं को ज्ञान की दृष्टि से महत्व दीजिए परंतु गर्व अपनी मातृभाषा पर ही करें !
इस अवसर पर डॉ घनश्याम गुप्ता ने अपने विचार प्रस्तुत किए संगीत विभाग की डॉ रागनी स्वर्णकार ने स्वागत गीत एवं राष्ट्रगान प्रस्तुत किया !
कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता जी ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया ! कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए सम्मान की बात है की मातृभाषा के महत्व पर आपके सुविचार प्राप्त हुए!
इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कानपुर प्रांत की डॉक्टर बिंदु डॉ अनुपम देशवाल कविता दीक्षित भावना श्रीवास्तव ने भी नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा के महत्व के बारे में विचार व्यक्त किए स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के श्री अखंड प्रताप सिंह श्री शैलेंद्र सिंह ने भी मातृभाषा के प्रयोग करने पर बल दिया विश्वविद्यालय की ज्योति वर्मा ने कविता के माध्यम से भाषा के महत्व को बताया !इस अवसर पर प्रोफ़ेसर वृषभ प्रसाद जैन की धर्मपत्नी श्रीमती जैन , प्रोफेसर आरसी कटियार डॉ श्याम बाबू गुप्ता डॉक्टर अर्पणा कटियार डॉक्टर विवेक सचान डॉक्टर कल्पना अग्निहोत्री डॉ प्रवीण कटियार डॉक्टर संदीप सिंह डॉक्टर बृजेश कटियार डॉ द्रोपती यादव उप कुलसचिव एसएल पाल डॉक्टर अखंड प्रताप सिंह डॉक्टर शैलेंद्र सिंह डॉ विनय कटियार जैकब वर्गीज डॉक्टर डीके सिंह डॉक्टर अजय यादव डॉक्टर शुभम वर्मा सुरभि दिवेदी डॉ पुष्पा मोरिया संध्या पांडे आराधना सिंह अरविंद राय प्रभा पांडे विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक गण शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधि गण विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि गण एनएसएस एवं एनसीसी के छात्र-छात्राएं सहित विश्वविद्यालय के कर्मचारी गण अंजनी शुक्ला विनय कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर ऋषभ प्रसाद जैन ने मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा की हमारी मातृभाषा ही हमें विकसित करती है उन्होंने कहा अंग्रेजी भाषा का इतना प्रभाव है कि एक निम्न वर्ग वाला व्यक्ति भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहता है चाहे उस स्कूल का स्तर हिंदी माध्यम स्कूल से निम्न ही क्यों ना हो उन्होंने मातृभाषा के प्रयोग करने के लिए कहा आज अगर हमें मातृभाषा को प्रचलित करवाना है तो इसके लिए जन जागरण की जरूरत है और भारतीय भाषाओं के विश्व स्तरीय विद्यालयों की स्थापना की भी आवश्यकता है !भारत जगतगुरु तभी होगा जब मातृभाषा का विकास होगा उन्होंने कोरिया के लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका में कोरिया के लोगों को ज्यादा आय होती है जबकि भारत के लोगों की आय उतनी नहीं हो पाती है जिसका मुख्य कारण यह है कि कोरिया अपनी मातृभाषा का प्रयोग करता है जबकि भारत के लोग अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं!
कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए ! भाषा के प्रति रुचि भी उत्पन्न करें जिससे हम अच्छे तरह से अपने भावों को अपनी मातृभाषा के माध्यम से प्रदर्शित कर सकें उन्होंने कहा कि पहले लोग हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ते थे और बड़े बड़े राजनीतिज्ञ नौकरशाह और अच्छे पदों पर आसीन भी हुए हैं हमारी मातृभाषा हमारे विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देती है उन्होंने मातृभाषा पर एक कविता के माध्यम से वहां पर उपस्थित लोगों को झकझोर दिया जिसका शीर्षक था हिंदी है तो हिंदुस्तान है यही देश का सम्मान है !
डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर संजय स्वर्णकार ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा की हिंदी भाषा ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है आज हमें हिंदी भाषी होने पर गर्व होना चाहिए उन्होंने कहा की प्रादेशिक भाषाओं का भी हास हो रहा है आज हमारी मातृभाषा पर जो खतरे मंडरा रहे हैं उनके समाधान की नितांत आवश्यकता है और हम ही वह समाधान कर सकते हैं कार्यशाला के संयोजक डॉ सुधांशु राय ने कहा हमारी मातृभाषा हमारी संस्कृति को प्रदर्शित करती है हमें पूरे गर्व से अपनी मातृभाषा का प्रयोग करते हुए पूरे विश्व में हिंदी भाषा का डंका बजवाना है अन्य भाषाओं को ज्ञान की दृष्टि से महत्व दीजिए परंतु गर्व अपनी मातृभाषा पर ही करें !
इस अवसर पर डॉ घनश्याम गुप्ता ने अपने विचार प्रस्तुत किए संगीत विभाग की डॉ रागनी स्वर्णकार ने स्वागत गीत एवं राष्ट्रगान प्रस्तुत किया !
कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता जी ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया ! कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए सम्मान की बात है की मातृभाषा के महत्व पर आपके सुविचार प्राप्त हुए!
इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कानपुर प्रांत की डॉक्टर बिंदु डॉ अनुपम देशवाल कविता दीक्षित भावना श्रीवास्तव ने भी नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा के महत्व के बारे में विचार व्यक्त किए स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के श्री अखंड प्रताप सिंह श्री शैलेंद्र सिंह ने भी मातृभाषा के प्रयोग करने पर बल दिया विश्वविद्यालय की ज्योति वर्मा ने कविता के माध्यम से भाषा के महत्व को बताया !इस अवसर पर प्रोफ़ेसर वृषभ प्रसाद जैन की धर्मपत्नी श्रीमती जैन , प्रोफेसर आरसी कटियार डॉ श्याम बाबू गुप्ता डॉक्टर अर्पणा कटियार डॉक्टर विवेक सचान डॉक्टर कल्पना अग्निहोत्री डॉ प्रवीण कटियार डॉक्टर संदीप सिंह डॉक्टर बृजेश कटियार डॉ द्रोपती यादव उप कुलसचिव एसएल पाल डॉक्टर अखंड प्रताप सिंह डॉक्टर शैलेंद्र सिंह डॉ विनय कटियार जैकब वर्गीज डॉक्टर डीके सिंह डॉक्टर अजय यादव डॉक्टर शुभम वर्मा सुरभि दिवेदी डॉ पुष्पा मोरिया संध्या पांडे आराधना सिंह अरविंद राय प्रभा पांडे विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक गण शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधि गण विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि गण एनएसएस एवं एनसीसी के छात्र-छात्राएं सहित विश्वविद्यालय के कर्मचारी गण अंजनी शुक्ला विनय कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।